Friday, November 8, 2024

 बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे 

बोल ज़बाँ अब तक तेरी है 

तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा 

बोल कि जाँ अब तक तेरी है 

देख कि आहन-गर की दुकाँ में 

तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन 

खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहाने 

फैला हर इक ज़ंजीर का दामन 

बोल ये थोड़ा वक़्त बहुत है 

जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले 

बोल कि सच ज़िंदा है अब तक 

बोल जो कुछ कहना है कह ले


© Faiz Ahmad Faiz ❤️


#We_the_Sukhanwar 🌼


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